Bhagat Singh, Sukhdev, Rajguru Hanged

क्या आप जानते हैं Bhagat Singh, Shukhdev,Rajguru तीनो शहीदो को कब फांसी हुई थी?


हमारे ये तीनों जवान इतने जाबांज थे, इन्होंने कभी किसी अंग्रेज के आगे सर नही झुकाया। ये कभी किसी से नही डरे इन्होंने हमेशा हर अंग्रेज का ड्टकर सामना किया। हमारे ये तीनो शहिद इतने महान थे, कि इन्होंने अपने जान कि कभी कोई फिक्र नही करी। 
 अंग्रेजी हुकूमत के सामने इन्होंने कभी अपना सर नहीं झुकाया।


आप लोगो को जान के हैरानी होगी कि Bhagat Singh, Shukhdev,Rajguru । तीनो शहीदो को एक साथ जेल मै रखा गया था, Bhagat Singh, Shukhdev,Rajguru से अंग्रेजी हुकूमत इतनी डरी हुई थी कि, वे इनसे किसी को भी मिलने कि इजाजत भी नही देते थे। अंग्रेजी हुकूमत का Bhagat Singh, Shukhdev,Rajguru बिल्कुल भी डर नही था।

  एक बार Bhagat Singh छोटे थे, तब उन्होंने किसी घटना के कारण अंग्रेजी हुकूमत के किसी सिपाही पर पत्थर से वार (मारा) किया और उसका सर फुट गया उस समय भी Bhagat Singh को सजा दी गयी थी उस समय Bhagat Singh सजा में कोड़ों से सजा मिली थी।
 कोडो से सजा मिलने के बाद भी Bhagat Singh  अंग्रेजी हुकूमत के सामने ना कभी सर झुकाया, ना कभी उनके गुलाम बने, ना उनकी कोई बात मानी। 

 Bhagat Singh, Sukhdev, Rajguru तीनो शहीदो को कब फांसी हुई थी?

Bhagat Singh, Sukhdev, Rajguru के शहिद होते समय भी अंग्रेजी हुकूमत इतनी डरी हुई थी कि जिस दिन Bhagat Singh, Sukhdev, Rajguru फ़ाँसी की सजा का दिन तय किया गया था उससे भी पहले इन्हें इनकी जेल में से इन्हें बदलवा दिया गया, इनका कारखाना बदल दिया गया क्युकी अंग्रेजो को डर था कि कही हिंदुतानी अवाम के लोग आके इन्हें छुड़ाने के लिए यहाँ लडाई ना करदे । 

क्युकी जेल के बहार काफी बड़ी जनसंख्या में लोग आये हुए थे। उन्हें यही डर था कि कही सब अक्रामन करके Bhagat Singh, Sukhdev, Rajguru छुड़ा ना ले। जिस कारण इनकी जेल ही बदल दी गयी। और फाँसी की सजा से 1 दिन पहले Bhagat Singh, Sukhdev, Rajguru फांसी दे दी गयी इनकी फाँसी 23 मार्च 1931 को तय कि गयी थी लेकिन जेल के बाहर भीड़ देखकर इन्होंने 1 दिन पहले ही फाँसी दे दी गयी।

 फाँसी से कुछ दिन पहले Bhagat Singh, Sukhdev, Rajguru घर , इनके परिवार वालो को आखरी समय मिलने दिया गया था। । फाँसी से एक दिन पहले किसी को नही मिलने दिया क्युकी फाँसी वाले दिन से एक दिन पहले हमारे वीर शहीदो Bhagat Singh, Sukhdev, Rajguru को फाँसी दे दी गयी थी। परंतु किसी को इसके बारे में कुछ बताया ही नहीं गया। अगले दिन 23 मार्च को सबको सूचना दि गयी।

क्या आपको पता है? 

 फाँसी से एक दिन पहले जब फाँसी हुई तो Bhagat Singh, Sukhdev, Rajguru आखरी इक्छा पूछी गयी इनकी आखरी इक्षा थी तीनो गले लग के अपने देश का जयकारा लगाए और इनके जाने के बाद भी ये देशभगति सभी में जगी रहे और तीनो ने गले लगकर हाथ मिलाया और कहा इंकलाब जिंदाबाद इंकलाब जिंदाबाद भारत माता की जय।

 इन नारों से पुरा जेल गूंज उठा। और चारो तरफ दीवारो में आवाज़ गूंज उठी । इंकलाब जिंदाबाद इंकलाब जिंदाबाद भारत माता की जय। इसी नारों के साथ हमारे तीन जाबांज (Bhagat Singh, Sukhdev, Rajguru) शहिद हो गए।। फाँसी का फंदा भी हस्ते हस्ते पहन लिया।

तीनो शहीदो को हमारा नमन तीनो शहिद हो गए उसी याद मे आज के दिन 23 मार्च को हम सभी देशवासी मिलके आज के दिन शहिद दिवस मनाते हैं।

जय हिंद जय भारत। 

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